Sunday 28 February 2016

गुस्सैल पत्नी के साथ कैसे निभाएं?

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गुस्सैल पत्नी के साथ कैसे निभाएं meri chant saheli


ग़ुस्सा आना इंसानी स्वभाव का हिस्सा है. हम में से हर किसी को कभी न कभी, किसी न किसी बात पर ग़ुस्सा आता ही है. लेकिन जब यही ग़ुस्सा स्वभाव ही बन जाए, तो रिश्तों पर असर डालता है. पति-पत्नी के रिश्ते में भी कई बार ऐसा देखा गया है कि किसी एक का मिज़ाज ज़्यादा गर्म होता है, ऐसे में रिश्ते में सामंजस्य बनाए रखने के लिए दूसरे पार्टनर पर यह ज़िम्मेदारी बढ़ जाती है कि वो अपने ग़ुस्सैल पार्टनर का साथ समझदारी से निभाए.

ग़ुस्से से निपटना एक चुनौती है, विशेषकर जब वो वैवाहिक जीवन में दरार उत्पन्न करने की वजह बन रहा हो. पत्नी अगर ग़ुस्सैल है, तो भी उसके साथ निभाना पड़ेगा ही, इसके लिए ज़रूरी है कि कुछ ख़ास बातों का ख़्याल रखा जाए, ताकि उसके साथ निभाना आसान हो जाए और आपके रिश्तों में कटुता भी न आए.

जानने का प्रयास करें कि किस बात से वह नाराज़ होती है- पति-पत्नी का एक-दूसरे के स्वभाव को जानना बेहद ज़रूरी है. पत्नी हर बात पर तो क्रोधित नहीं होती होगी, ज़ाहिर है बिना वजह कोई नहीं भड़कता. उन बातों और स्थितियों पर ग़ौर करें और उनका आकलन करें, जिनसे आपकी पत्नी को ग़ुस्सा आता है. अगर उन्हें समझ लिया जाए और ऐसी स्थिति उत्पन्न होने से बचाया जा सके, तो पत्नी के ग़ुस्से से सामना करने से बचा जा सकता है.

1. अपने व्यवहार को चेक करते रहें- हो सकता है आपकी कुछ ऐसी आदतें और व्यवहार हों, जो उसे नापसंद हो. आपके लिए उन आदतों व व्यवहार को बदलना बेशक मुमकिन न हो, पर पत्नी के सामने वे काम या बातें न ही करें, जिनसे उसके अंदर खीझ पैदा होती हो.
ग़लती मान लें- ग़लतियां सबसे होती हैं, पत्नी चाह रही है कि आप अपनी ग़लती मान लें, तो इसमें बुराई ही क्या है? इस तरह उसे भी अच्छा लगेगा और आपको भी उसके क्रोध से जल्दी छुटकारा मिल जाएगा. जब भी बात ग़लती की हो, तो अपने ईगो को एक तरफ़ रख दें. बात तुरंत संभल जाएगी.

 2. उसकी बात सुनें- वह शायद इसलिए क्रोधित हो रही हो कि कोई भी उसकी बात सुनने को तैयार नहीं है. न ऑफिस में बॉस, न घर में बच्चे और न ही आप. इस दुनिया में अनेक लोग इसी वजह से डिप्रेशन में रहते हैं कि उन्हें सुनने-समझनेवाला कोई नहीं है. जब वह क्रोधित हो, तो उसकी स्थिति व मानसिक अवस्था को समझकर ही उसकी बात सुन लें.

3. शांत होने का समय दें- जब आपको लगे कि आपकी पत्नी को ग़ुस्सा आ रहा है, तो कोई प्रतिक्रिया या उसे चुप कराने की कोशिश करने की बजाय उसे शांत होने का व़क्त दें. बीच में बोलने या उसे बुरा कहने से बात और बढ़ेगी ही. हो सकता है आप उसकी बात न सुनते हों, इसलिए उसे अधिक ग़ुस्सा आता हो. वह जो भी कहना चाहती है, अगर आप उसे वह कहने का मौक़ा दें, उसकी बातों को ध्यान से सुनें, उसकी राय को महत्व दें, तो हो सकता है उसे क्रोध का सहारा न लेना पड़े. उसे स्पेस दें, ताकि उसे अपनी ग़लतियों का एहसास हो और हो सकता है, वह आपसे आकर ‘सॉरी’ भी कह दे.

4. धैर्य बनाए रखें- अपनी ग़ुस्सैल पत्नी के साथ निभाने के लिए आपको धैर्य बनाए रखना होगा. आपको कई बार इस बात की हैरानी भी होगी कि आख़िर इतनी छोटी-सी बात पर पत्नी को ग़ुस्सा क्यों आया या वह इस तरह से रिएक्ट क्यों कर रही है. लेकिन ऐसे में उसे रोकने या टोकने का मतलब होगा उसके ग़ुस्से को और बढ़ाना. बेहतर यही होगा कि अपना धैर्य न खोएं. हो सके तो उसके सामने से हट जाएं या दूसरे कमरे में चले जाएं. इससे कम से कम आपकी सहनशीलता तो आपका साथ नहीं छोड़ेगी

5. घर से बाहर चले जाएं- अगर वह बेहद ग़ुस्से में हो, तो अच्छा यही होगा कि आप घर से बाहर चले जाएं. जब तक आप वापस लौटेंगे, वह शांत हो चुकी होगी. पर अगर उसे किसी और पर ग़ुस्सा आ रहा है, तो आप दोनों ही वॉक पर चले जाएं. इससे उसे और आप दोनों को ही रिलैक्स होने में मदद मिलेगी. आमतौर पर पत्नी को यह बात अच्छी लगती है कि उसका पति उसे सपोर्ट कर रहा है. अगर आपकी पत्नी किसी मुद्दे पर ग़लत भी हो, तो ग़ुस्से के व़क्त उसकी आंखें खोलने का या बहस करने का प्रयास न करें, बल्कि सही व़क्त का इंतज़ार करें. अगर उसे लगता है कि उसका पति उसे सपोर्ट कर रहा है, तो उसे बहुत तसल्ली होगी और उसके हार्मोंस भी संतुलित होंगे, जिससे उसे अपने क्रोध पर नियंत्रण करने में मदद मिलेगी. 

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